राग तेलंग

Wednesday, May 21, 2014

कविता: समय की गिनती एक विभ्रम है



समय की गिनती एक विभ्रम है


ढेर सारे आंसू मिलकर
समय को बर्फ की तरह जमा देते हैं
यह दुःख और सुख दोनों की बात है

देखोगे ऐसे में
सिर्फ एक मुस्कुराहट
फिर से दिल को पिघला देती है
समय को द्रवित करने की यही एक कला है


मेरे हाथ को थामो और
हथेलियों पर कुछ लिखो
देखना
शीsशे पर पानी की बूंदें जम जाएंगी
समय को यूं भी रोका जाता है

टुकड़ों में समय की गिनती एक विभ्रम है ।

कविता: राग तेलंग



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