राग तेलंग

Wednesday, July 16, 2014



विरोध की भाषा

एक दिन
बोली जाने वाली भाषा
खो जाएगी

जिस भाषा में सोचेंगे
उसमें कह नहीं सकेंगे
और कहेंगे भी तो पाएंगे
एक भाषा खो गई है

इस तरह
एक दिन
विरोध भी मुमकिन न होगा

सोचेंगे भी
तो कह नहीं सकेंगे
और कहेंगे भी
तो कोई समझेगा नहीं

पता भी न चलेगा
विरोध नाम की कोई चीज
हुआ करती थी दुनिया में ।

कविता: राग तेलंग

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