मैं पानी बचाता हूं
आदमी
पानी नहीं बना सकता
पानी सब कुछ बना देता है
पानी सब कुछ बना देता है
पानी
ने अन्न बनाया
मैंने तो पानी से सिर्फ अन्न पकाया
मैंने तो पानी से सिर्फ अन्न पकाया
मैं
पानी नहीं बना सकता
अन्न भी नहीं
अन्न भी नहीं
पानी
ने मौसम बनाया
मौसम ने सबको पकाया
मैंने तो पानी से धोकर सिर्फ फल खाया
मौसम ने सबको पकाया
मैंने तो पानी से धोकर सिर्फ फल खाया
मैं
पानी नहीं बना सकता फल भी नहीं
पानी
ने समंदर बनाया
पहाड़ों से होकर नदियों-तालाबों में लहराया
मैं तो सिर्फ नहाया
पहाड़ों से होकर नदियों-तालाबों में लहराया
मैं तो सिर्फ नहाया
मैं
पानी नहीं बना सकता
समंदर,पहाड़,नदी तो दूर
समंदर,पहाड़,नदी तो दूर
एक
पेड़ और एक
बादल तो बिल्कुल नहीं
पानी
ने मुझको बनाया
मगर
मैं पानी को नहीं बना सकता
माना अगर मैं पानी नहीं बना सकता तो
बचा तो सकता हूं अपने हिस्से की एक-एक बूंद
बचा तो सकता हूं अपने हिस्से की एक-एक बूंद
कि
फिर मुझे लगेगा
मैंने अन्न बनाया,फल बनाया,नदी,पहाड़,समुद्र,पेड़ ,बादल बनाए
मैंने अन्न बनाया,फल बनाया,नदी,पहाड़,समुद्र,पेड़ ,बादल बनाए
मैं पानी से अपनी दुनिया बना सकता हूं
तो बचा भी सकता हूं |
तो बचा भी सकता हूं |

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